डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में स्थित महू में हुआ था जिसका नाम आज बदल कर डॉ.अंबेडकर नगर रख दिया गया था। डॉ भीमराव अंबेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। डॉ भीमराव अंबेडकर जाति से दलित थे। उनकी जाति को अछूत जाति माना जाता था। इसलिए उनका बचपन बहुत ही मुश्किलों में व्यतीत हुआ था। आइए और इस ब्लॉग में विस्तार से जानते हैं Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi के बारे में विस्तार से।
DR. B.R.Ambedkar Biography In Hindi | डॉ.भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय
जन्म | 14 अप्रैल 1891 मध्य प्रदेश, भारत में |
जन्म का नाम | भिवा, भीम, भीमराव, बाबासाहेब अंबेडकर |
अन्य नाम | बाबासाहेब अंबेडकर |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | बौद्ध धर्म |
शैक्षिक सम्बद्धता | • मुंबई विश्वविद्यालय (बी॰ए॰) • कोलंबिया विश्वविद्यालय (एम॰ए॰, पीएच॰डी॰, एलएल॰डी॰) लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (एमएस०सी०,डीएस॰सी॰) ग्रेज इन (बैरिस्टर-एट-लॉ) |
पेशा | विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्दार्शनिक, लेखक पत्रकार, समाजशास्त्री, मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्, धर्मशास्त्री, इतिहासविद् प्रोफेसर, सम्पादक |
व्यवसाय | वकील, प्रोफेसर व राजनीतिज्ञ |
जीवन साथी | रमाबाई अंबेडकर (विवाह 1906- निधन 1935) डॉ० सविता अंबेडकर ( विवाह 1948- निधन 2003) |
बच्चे | यशवंत अंबेडकर |
राजनीतिक दल | शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन स्वतंत्र लेबर पार्टी भारतीय रिपब्लिकन पार्टी |
अन्य राजनीतिक संबद्धताऐं | सामाजिक संगठन: • बहिष्कृत हितकारिणी सभा • समता सैनिक दल शैक्षिक संगठन: • डिप्रेस्ड क्लासेस एज्युकेशन सोसायटी • द बाँबे शेड्युल्ड कास्ट्स इम्प्रुव्हमेंट ट्रस्ट • पिपल्स एज्युकेशन सोसायटी धार्मिक संगठन: भारतीय बौद्ध महासभा |
पुरस्कार/ सम्मान | • बोधिसत्व (1956) • भारत रत्न (1990) • पहले कोलंबियन अहेड ऑफ देअर टाईम (2004) • द ग्रेटेस्ट इंडियन (2012) |
मृत्यु | 6 दिसम्बर 1956 (उम्र 65) डॉ॰ आम्बेडकर राष्ट्रीय स्मारक, नयी दिल्ली, भारत |
समाधि स्थल | चैत्य भूमि,मुंबई, महाराष्ट्र |
बचपन और शिक्षा | Childhood of Dr Bhimrao Ambedkar biography in Hindi
DR. B.R.Ambedkar Biography In Hindi का बचपन
डॉ.भीमराव अंबेडकर और उनके पिता मुंबई शहर के एक ऐसे मकान में रहने गए जहां एक ही कमरे में पहले से बेहद गरीब लोग रहते थे इसलिए दोनों के एक साथ सोने की व्यवस्था नहीं थी तो बाबासाहेब अंबेडकर और उनके पिता बारी-बारी से सोया करते थे जब उनके पिता सोते थे तो डॉ भीमराव अंबेडकर दीपक की हल्की सी रोशनी में पढ़ते थे।
भीमराव अंबेडकर संस्कृत पढ़ने के इच्छुक थे, परंतु छुआछूत की प्रथा के अनुसार और निम्न जाति के होने के कारण वे संस्कृत नहीं पढ़ सकते थे। परंतु ऐसी विडंबना थी कि विदेशी लोग संस्कृत पढ़ सकते थे। भीम राव अंबेडकर जीवनी में अपमानजनक स्थितियों का सामना करते हुए डॉ भीमराव अंबेडकर ने धैर्य और वीरता से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई।
बाबासाहेब अंबेडकर की शिक्षा
डॉ भीमराव अंबेडकर ने सन् 1907 में मैट्रिकुलेशन पास करने के बाद एली फिंस्टम कॉलेज में सन् 1912 में ग्रेजुएट हुए। सन् 1913 और 15 प्राचीन भारत व्यापार पर एक शोध प्रबंध लिखा था। डॉ भीमराव अंबेडकर ने वर्ष 1915 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए की शिक्षा ली। सन् 1917 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर ली। नेशनल डेवलपमेंट फॉर इंडिया एंड एनालिटिकल स्टडी विषय पर उन्होंने शोध किया।
वर्ष1917 में ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में उन्होंने दाखिला लिया लेकिन साधन के अभाव के कारण वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाए। कुछ समय बाद लंदन जाकर लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से अधूरी पढ़ाई उन्होंने पूरी की। इसके साथ-साथ एमएससी और बार एट-लॉ की डिग्री भी प्राप्त की। अपने युग के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे राजनेता और एवं विचारक थे। भीम राव अंबेडकर जीवनी कुल 64 विषयों में मास्टर थे, 9 भाषाओं के जानकार थे, विश्व के सभी धर्मों के बारे में पढ़ाई की थी।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में मास्टर्स
कोलंबिया विश्वविद्यालय में छात्र के रूप में अंबेडकर वर्ष 1915 -1 917 में 22 वर्ष की आयु में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए। जून 1915 में उन्होंने अपनी एम.ए. परीक्षा पास की, जिसमें अर्थशास्त्र प्रमुख विषय, और समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान यह अन्य विषय थे। उन्होंने स्नातकोत्तर के लिए प्राचीन भारतीय वाणिज्य विषय पर रिसर्च कार्य प्रस्तुत किया।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मास्टर्स
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अपने प्रोफेसरों और दोस्तों के साथ अंबेडकर सन् 1916 – 17 सन् 1922 में एक बैरिस्टर के रूप में डॉ॰ भीमराव अंबेडकर अक्टूबर 1916 में, ये लंदन चले गये और वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट थीसिस पर काम करना शुरू किया।
इनका प्रेरक जीवन परिचय पड़े – डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
पारिवारिक जानकारी (Family Information)
पिता का नाम | रामजी मालोजी सकपाल |
माता का नाम | भीमाबाई सकपाल |
बहन का नाम | मंजुला, तुलसी, गंगाबाई, रमाबाई |
भाई का नाम | बलराम, आनंदराव |
पत्नी का नाम | पहली पत्नी का नाम – रमाबाई अम्बेडकर, दूसरी पत्नी – डॉक्टर सविता अम्बेडकर |
बेटे का नाम | राजरत्न अम्बेडकर और यशवंत अम्बेडकर |
बेटी का नाम | इंदु |
DR. B.R.Ambedkar Biography के पास कितनी डिग्री थी?
भारत रत्न Dr Bhimrao Ambedkar के पास 32 डिग्रियों के साथ 9 भाषाओं के सबसे बेहतर जानकार थे। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मात्र 2 साल 3 महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी की थी। वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ‘डॉक्टर ऑल साइंस’ नामक एक दुर्लभ डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हैं।
प्रथम विश्व युद्ध की वजह से उनको भारत वापस लौटना पड़ा। कुछ समय बाद उन्होंने बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में नौकरी प्रारंभ की। बाद में उनको सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गयी। कोल्हापुर के शाहू महाराज की मदद से एक बार फिर वह उच्च शिक्षा के लिए लंदन गए।
डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित पुस्तकें
भीम राव अंबेडकर जीवनी में बाबासाहेब समाज सुधारक होने के साथ-साथ लेखक भी थे। लेखन में रूचि होने के कारण उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। अंबेडकर जी द्वारा लिखित पुस्तकों की लिस्ट नीचे दी गई है-
- भारत का राष्ट्रीय अंश
- भारत में जातियां और उनका मशीनीकरण
- भारत में लघु कृषि और उनके उपचार
- मूलनायक
- ब्रिटिश भारत में साम्राज्यवादी वित्त का विकेंद्रीकरण
- रुपए की समस्या: उद्भव और समाधान
- ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का अभ्युदय
- बहिष्कृत भारत
- जनता
- जाति विच्छेद
- संघ बनाम स्वतंत्रता
- पाकिस्तान पर विचार
- श्री गांधी एवं अछूतों की विमुक्ति
- रानाडे गांधी और जिन्ना
- शूद्र कौन और कैसे
- भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म
- महाराष्ट्र भाषाई प्रांत
DR. B.R.Ambedkar Biography जीवनी: छुआछूत विरोधी संघर्ष
डॉ भीमराव अंबेडकर छुआछूत की पीड़ा को जन्म से ही झेलते आए थे। जाति प्रथा और ऊंच-नीच का भेदभाव वह बचपन से ही देखते आए थे और इसके स्वरूप उन्होंने काफी अपमान का सामना किया। डॉ भीमराव अंबेडकर ने छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष किया और इसके जरिए वे निम्न जाति वालों को छुआछूत की प्रथा से मुक्ति दिलाना चाहते थे और समाज में बराबर का दर्जा दिलाना चाहते थे।
1920 के दशक में मुंबई में डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपने भाषण में यह साफ-साफ कहा था कि “जहां मेरे व्यक्तिगत हित और देश हित में टकराव होगा वहां पर मैं देश के हित को प्राथमिकता दूंगा परंतु जहां दलित जातियों के हित और देश के हित में टकराव होगा वहां मैं दलित जातियों को प्राथमिकता दूंगा।” वे दलित वर्ग के लिए मसीहा के रूप में सामने आए जिन्होंने अपने अंतिम क्षण तक दलितों को सम्मान दिलाने के लिए संघर्ष किया। सन् 1927 में अछूतों को लेने के लिए एक सत्याग्रह का नेतृत्व किया। और सन् 1937 में मुंबई में उच्च न्यायालय में मुकदमा जीत लिया।
प्रयत्नशील सामाजिक सुधारक डॉ भीमराव अंबेडकर
डॉ बी. आर. अंबेडकर ने इतनी असमानताओं का सामना करने के बाद सामाजिक सुधार का मोर्चा उठाया। अंबेडकर जी ने ऑल इंडिया क्लासेज एसोसिएशन का संगठन किया। सामाजिक सुधार को लेकर वह बहुत प्रयत्नशील थे। ब्राह्मणों द्वारा छुआछूत की प्रथा को मानना, मंदिरों में प्रवेश ना करने देना, दलितों से भेदभाव, शिक्षकों द्वारा भेदभाव आदि सामाजिक सुधार करने का प्रयत्न किया। परंतु विदेशी शासन काल होने कारण यह ज्यादा सफल नहीं हो पाया। विदेशी शासकों को यह डर था कि यदि यह लोग एक हो जाएंगे तो परंपरावादी और रूढ़िवादी वर्ग उनका विरोधी हो जाएगा।
डॉ भीमराव अंबेडकर राजनीतिक सफर
वर्ष 1936 में बाबा साहेब जी ने स्वतंत्र मजदूर पार्टी का गठन किया था। सन् 1937 के केन्द्रीय विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 15 सीट की जीत मिली। अम्बेडकर जी अपनी इस पार्टी को आल इंडिया शीडयूल कास्ट पार्टी में बदल दिया, इस पार्टी के साथ वे 1946 में संविधान सभा के चुनाव में खड़े हुए, लेकिन उनकी इस पार्टी का चुनाव में बहुत ही ख़राब प्रदर्शन रहा।
कांग्रेस व महात्मा गाँधी ने अछूते लोगों को हरिजन नाम दिया, जिससे सब लोग उन्हें हरिजन ही बोलने लगे, लेकिन अम्बेडकर जी को ये बिल्कुल पसंद नहीं आया और उन्होंने उस बात का विरोध किया था। उनका कहना था अछूते लोग भी हमारे समाज का एक हिस्सा है, वे भी बाकि लोगों की तरह आम व्यक्ति ही हैं। अम्बेडकर जी को रक्षा सलाहकार कमिटी में रखा गया व वाइसराय एग्जीक्यूटिव परिषद उन्हें लेबर का मंत्री बनाया गया था। बाबा साहेब आजाद भारत के पहले कानून मंत्री भी बने थे।
डॉ भीमराव अंबेडकर बनाम गांधी जी
सन् 1932 में पुणे समझौते में गांधी और अंबेडकर आपसी विचार विमर्श के बाद एक मार्गदर्शन पर सहमत हुए। वर्ष 1945 में अंबेडकर ने हरिजनों का पक्ष लेने के लिए महात्मा गांधी के दावे को चुनौती दी और व्हॉट कांग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्स ( सन् 1945) नामक लेख लिखा l सन् 1947 अंबेडकर भारत सरकार के कानून मंत्री बने डॉ. भीमराव अंबेडकर गांधीजी और कांग्रेस के उग्र आलोचक है । 1932 में ग्राम पंचायत बिल पर मुंबई की विधानसभा में बोलते हुए अंबेडकर जी ने कहा : बहुतों ने ग्राम पंचायतों की प्राचीन व्यवस्था की बहुत प्रशंसा की है ।
कुछ लोगों ने उन्हें ग्रामीण प्रजातंत्र कहां है । इन देहाती प्रजातंत्रों का गुण जो भी हो, मुझे यह कहने में जरा भी दुविधा नहीं है कि वे भारत में सार्वजनिक जीवन के लिए अभिशाप हैं । यदि भारत राष्ट्रवाद उत्पन्न करने में सफल नहीं हुआ यदि भारत राष्ट्रीय भावना के निर्माण में सफल नहीं हुआ, तो इसका मुख्य कारण मेरी समझ में ग्राम व्यवस्था का अस्तित्व है।
बाबासाहेब की धर्म परिवर्तन की घोषणा
भीमराव आंबेडकर ने 13 अक्टूबर 1935 को नासिक के निकट येवला में एक सम्मेलन में धर्म परिवर्तन करने की घोषणा की। उन्होंने कहा था, ”हालांकि मैं एक अछूत हिन्दू के रूप में पैदा हुआ हूं, लेकिन मैं एक हिन्दू के रूप में हरगिज नहीं मरूंगा।” इसके साथ ही उन्होंने अपने अनुयायियों से भी हिंदू धर्म छोड़कर कोई और धर्म अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने धर्म परिवर्तन की घोषणा करने के बाद 21 साल तक विश्व के सभी प्रमुख धर्मों का गहन अध्ययन किया।
भीमराव आंबेडकर ने अपनाया बौद्ध धर्म
भीमराव आंबेडकर वर्ष 1950 में वह एक बौद्धिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए श्रीलंका गए, जहां वह बौद्ध धर्म से अत्यधिक प्रभावित हुए। स्वदेश वापसी पर उन्होंने बौद्ध धर्म के बारे में पुस्तक लिखी। उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। वर्ष 1955 में उन्होंने भारतीय बौद्ध महासभा की स्थापना की। 14 अक्टूबर 1956 को उन्होंने एक आम सभा आयोजित की, जिसमें उनके साथ-साथ अन्य पांच लाख समर्थकों ने बौद्ध धर्म अपनाया। कुछ समय बाद छह दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार बौद्ध धर्म की रीति-रिवाज के अनुसार किया गया।
संविधान का निर्माण :-
सन 1926 में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर बम्बई विधानसभा परिषद् के सदस्य बन गये थे। अम्बेडकर को उनके अच्छे और प्रभावी कार्यो के कारण उन्हें 13 अक्टूबर , साल 1935 को सरकारी लॉ ( कानून ) कालेज का प्रिंसिपल नियुक्त किया गया। प्रिंसिपल के रूप में डॉ. साहब ने दो साल तक लगन और मेहनत से काम किया | सन 1936 में आंबेडकर ने स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की|
उनकी पार्टी साल 1937 में केन्द्रीय विधानसभा चुनाव लड़ी और कुल 15 सीटो पर जीत हासिल की थी । साल 1941 से 1945 तक आंबेडकर बहुत सारी किताबे लिखी जिन पर काफी विवाद हुआ |
उनकी प्रकाशित हुई किताबो में से एक किताब ‘ थॉट्स ऑन पाकिस्तान ‘ सबसे प्रमुख किताब थी। जो उस समय बहुत विवादित रही | इस किताब में मुसलमानों के लिए एक अलग देश पाकिस्तान बनाने का पुरजोर तरीके से विरोध किया गया। इसके अलावा उन्होंने उन सभी नेताओं की मांगों का विरोध किया जो भारत के टुकड़े करना चाहते थे |
जब 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ तो ख़राब स्वास्थ्य के बावजूद आंबेडकर आजाद भारत के पहले कानून मंत्री बने थे। खराब स्वास्थ्य की चिंता किये बिना डाक्टर बाबा साहेब जी ने हमारे भारत को एक ठोस और संपन्न कानून दिया। उनके द्वारा लिखे गये संविधान को 26 जनवरी ,1950 में लागु कर दिया गया था। भारतीय रिजर्व बेंक की स्थापना में भीमराव जी का महत्वपूर्ण योगदान था |
29 अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान की मसौदा समिति का अध्यक्ष भीमराव अम्बेडकर को नियुक्त किया गया । आम्बेडकर एक बुद्धिमान और दूर दृष्टि वाले संविधान विशेषज्ञ थे | अम्बेडकर जी ने भारत का संविधान बनाने के लिए लगभग 60 देशों के संविधानों का अध्ययन किया था। इस कारण बाबा साहेब को “भारत के संविधान का पिता” के उपनाम से जाना जाता हैं |
आम्बेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान में भारतीय नागरिकों के लिए संवैधानिक गारंटी और सुरक्षा प्रदान की गई है| जिसमें धर्म की आजादी, छुआछूत को खत्म करना, और सभी प्रकार के भेदभावों को समाप्त करना हैं| आम्बेडकर ने संविधान में महिलाओं के लिए व्यापक आर्थिक और सामाजिक अधिकारों को खास महत्व दिया| इसके साथ ही अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों के लिए नागरिक सेवाओं, स्कूलों और कॉलेजों में नौकरियों के आरक्षण की व्यवस्था शुरू करने के लिए संसद के सदस्यों का विश्वास हासिल किया | 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाया गया |
डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने संविधान की धारा 370 का विरोध किया था| परन्तु उनके विरोध के बावजूद भी इस धारा को संविधान में सम्मिलित किया गया। संविधान लिखने का काम पूरा करने के बाद आम्बेडकर ने कहा:
“मुझे विश्वास हैं कि संविधान, साध्य (काम करने लायक) है| भारत का संविधान लचीला है पर साथ ही यह इतना मज़बूत भी है कि देश को शांति और युद्ध दोनों के समय जोड़ कर रख सकता हैं । उन्होंने ने कहा कि देश में अगर कभी कुछ गलत हुआ तो इसका कारण यह नही होगा कि हमारा संविधान खराब था बल्कि इसका उपयोग करने वाला अवश्य रूप से गलत होगा ।”
भीमराव आंबेडकर ने किया था अनुच्छेद 370 का विरोध
बता दें कि आंबेडकर ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 का विरोध किया था, जिसने जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिया था। वहीं, इस अनुच्छेद को उनकी इच्छाओं के खिलाफ संविधान में शामिल किया गया था।
26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है :
दोस्तों आपको बता दे की 26 जनवरी इसी दिन हमारा संविधान भी तैयार हुआ था। वो संविधान जिसकी शपथ लेकर देश की अदालतें फैसला लेती हैं। आज से 75 साल पहले साल 26 जनवरी 1950 को इसे गणतंत्र दिवस के रूप में चुना गया। तब से लेकर आज तक हम हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस का उत्सव मनाते हैं।
29 अगस्त 1947 को संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति बनाई गई। इस समिति का नेतृत्व डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने किया. संविधान सभा ने तय किया कि संविधान को लागू करने के लिए दो दिन और इंतजार किया जाएगा। अगले दो दिनों में ही 26 जनवरी 1950 को बाबासाहेब द्वारा भारतीय संविधान लागू हुआ और इसी के साथ भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में पूरी तरह से स्वतंत्र हो गया।
इसलिए हम हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं और अपने संविधान का गौरव मनाते हैं। डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर की जैसी महान व्यक्ति युग में केवल एक ही बार जन्म लेती है तो हमारा नमन है उनको उनके कार्यों को उनके देश के प्रति आदर और सम्मान को जो उन्होंने देश को इतना अच्छा भारतीय संविधान दिया.
पुरस्कार/सम्मान
बाबा साहेब अंबेडकर को अपने महान कार्यों के चलते कई पुरस्कार भी मिले थे, जो इस प्रकार हैं:
- डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का स्मारक दिल्ली स्थित उनके घर 26 अलीपुर रोड में स्थापित किया गया है।
- अंबेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रखा जाता है।
- 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।
- कई सार्वजनिक संस्थान का नाम उनके सम्मान में उनके नाम पर रखा गया है जैसे कि हैदराबाद, आंध्र प्रदेश का डॉ. अम्बेडकर मुक्त विश्वविद्यालय, बी आर अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय- मुजफ्फरपुर।
- डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नागपुर में है, जो पहले सोनेगांव हवाई अड्डे के नाम से जाना जाता था।
- अंबेडकर का एक बड़ा आधिकारिक चित्र भारतीय संसद भवन में प्रदर्शित किया गया है।
DR. B.R.Ambedkar Biography के बारे में रोचक तथ्य
- भारत के झंडे पर अशोक चक्र लगवाने वाले डाॅ. बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर ही थे।
- डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर लगभग 9 भाषाओं को जानते थे।
- भीमराव अंबेडकर ने 21 साल की उम्र तक लगभग सभी धर्मों की पढ़ाई कर ली थी।
- भीमराव अंबेडकर ऐसे पहले इन्सान थे जिन्होंने अर्थशास्त्र में PhD विदेश जाकर की थी।
- भीमराव अंबेडकर के पास लगभग 32 डिग्रियां थी।
- बाबासाहेब आजाद भारत के पहले कानून मंत्री थे।
- बाबासाहेब ने दो बार लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन दोनों बार हार गए थे।
- भीमराव अम्बेडकर हिन्दू महार जाति के थे, जिन्हें समाज अछूत मनाता था।
- भीमराव अम्बेडकर कश्मीर में लगी धारा नंबर 370 के खिलाफ थे।
बाबासाहेब अंबेडकर के कुछ महान विचार
- एक सफल क्रांति के लिए सिर्फ असंतोष का होना पर्याप्त नहीं है जिसकी आवश्यकता है वो है न्याय एवं राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था।
- गलत को गलत कहने की क्षमता नहीं है तो आप की प्रतिमा व्यर्थ है
- जो धर्म जन्म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बताये वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।
- जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है, वो आपके किसी काम की नहीं।
- एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है की वह समाज का नौकर बनने के लिए तैयार होता है।
- यदि मुझे लगा संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो इसे जलानेवाला सबसे पहले मैं रहूँगा।
- अन्याय से लड़ते हुये आपकी मौत हो जाती है तो आपकी आने वाली पीढ़िया उसका बदला अवश्य लेगी किन्तु अन्याय सहते सहते यदि मर जाओगे तो आने वाली पीढ़िया भी गुलाम बनी रहेगी।
- किसी का भी स्वाद बदला जा सकता है लेकिन ज़हर को अमृत में परिवर्तित नही किया जा सकता ।
- कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए
- ना मस्जिद की बात हो, न शिवालों की बात हो, प्रजा बेरोज़गार है, पहले निवालों की बात हो. मेरी नींद को दिक्कत ना भजन से ना अज़ान से है। मेरी नींद को दिक्कत मरते हुये जवान और खुदकुशी करते किसान से है !
डॉ भीमराव अंबेडकर का निधन
डॉ भीमराव अंबेडकर सन 1948 से मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित थे और वह 1954 तक बहुत बीमार रहे थे। 3 दिसंबर 1956 को डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और धम्म उनके को पूरा किया और 6 दिसंबर 1956 को अपने घर दिल्ली में अपनी अंतिम सांस ली थी। बाबा साहेब का अंतिम संस्कार चौपाटी समुद्र तट पर बौद्ध शैली में किया गया। इस दिन से अंबेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रखा जाता है।
FAQs
Q.1 डॉ. भीमराव अम्बेडकर के पास कितनी डिग्रीयां थी?
Ans – डॉ. भीमराव अम्बेडकर के पास 32 डिग्रीयां थी, साथ ही वो 9 भाषाओं के जानकर थे| पूरी जानकारी उपर इस पोस्ट में दी गई हैं आप वहां से प्राप्त कर सकते हो |
Q.2 बाबा साहेब की मृत्यु कैसे हुई थी?
Ans- बाबा साहेब की मृत्यु मधुमेय (डायबिटीज) से हुई थी।
Q.3 भारतीय संविधान के निर्माता कौन हैं?
Ans- भारतीय संविधान के निर्माता डॉ बाबा साहेब अंबेडकर हैं।
Q.4 अंबेडकर के गुरु कौन थे?
Ans- बाबा साहेब के गुरु का नाम कृष्ण केशव अंबेडकर था।
Q.5 भीमराव अंबेडकर की पत्नी का नाम क्या था?
Ans – भीमराव अंबेडकर ने 2 शादी की थी, उनकी पहली पत्नी का नाम था – रमाबाई अंबेडकर और दूसरी पत्नी का पत्नी का नाम था – सावित्री अंबेडकर
Q.6 भीमराव अंबेडकर की मृत्यु कब हुई थी?
Ans – भीमराव अंबेडकर की मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को हुई थी।
Q.7 डॉ भीमराव अंबेडकर ने संविधान कितने दिन में लिखा था?
Ans – डॉ भीमराव अंबेडकर ने संविधान 2 साल, 11 माह और 18 दिन में लिख दिया था।