लालकृष्ण आडवाणी का जीवन परिचय| Lal Krishna Advani Biography In Hindi

नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम भाजपा पक्ष को ऊपर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका जीवन परिचय जानेंगे जी हमें बात कर रहा हूं हाल ही में जिनको भारत रत्न पुरस्कार घोषित किया है वह लालकृष्ण आडवाणी . आडवाणी जी का जन्म 8 नवंबर 1927 को सिन्ध प्रान्त (पाकिस्तान) में हुआ था। वह कराची के सेंट पैट्रिक्स स्कूल में पढ़ें हैं और उनके देशभक्ति के जज्बे ने उन्हें राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

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वह जब महज 14 साल के थे, उस समय से उन्होंने अपना जीवन देश के नाम कर दिया।1980 से 1990 के बीच आडवाणी जी (lal krishna advani)ने भाजपा को एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाने के लिए अपना पूरा समय दिया। आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर थी और बीजेपी सबसे अधिक संख्या वाली पार्टी बनकर उभरी थी। तो ऐसे ही एक महान राजनेता की जीवनी हम विस्तार से देखेंगे तो यह पोस्ट अंत तक जरूर करें

Lal Krishna Advani Biography In Hindi

Lal Krishna Advani Biography In Hindi |लालकृष्ण आडवाणी का जीवन परिचय

जन्म8 नवम्बर 1927
जन्म स्थानकराची
पिता का नामकिशनचंद आडवाणी
माता का नामज्ञानी देवी
पत्नी का नामकमला देवी

कौन हैं लालकृष्ण आडवाणी?(Who is Lal Krishna Advani)

Lal Krishna Advani Biography In Hindi

दोस्तों, भाजपा के वरिष्ठ नेता और देश के सातवें उप-प्रधानमंत्री तथा भारत रत्न लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म पाकिस्तान के कराची में 8 नवंबर, 1927 को एक हिंदू सिंधी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम किशनचंद आडवाणी और मां का नाम ज्ञानी देवी है। उनके पिता पेशे से एक उद्यमी थे। शुरुआती शिक्षा उन्होंने कराची के सेंट पैट्रिक हाई स्कूल से ग्रहण की थी। इसके बाद वह हैदराबाद, सिंध के डीजी नेशनल स्कूल में दाखिला लिया।

विभाजन के समय उनका परिवार पाकिस्तान छोड़कर मुंबई आकर बस गया। यहां उन्होंने लॉ कॉलेज ऑफ द बॉम्बे यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। उनकी पत्नी का नाम कमला आडवाणी है। उनके बेटे का नाम जयंत आडवाणी और बेटी का नाम प्रतिभा आडवाणी (Bharat Ratna ) है। अपने तक परिश्रम से भाजपा पक्ष को उन्होंने भारत भारत के छोटे-छोटे गांव शहरों राज्यों में फैलाया . हाल ही में बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी (Bharat Ratna Lal Krishna Advani) को सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के ऐलान के बाद से उनके समर्थकों और चाहने वालों में खुशी की लहर है. वह न सिर्फ बीजेपी के दिग्गज नेता बल्कि पार्टी के मजबूत स्तंभ भी हैं. . 

एल. के. आडवाणी जन्म एवं परिवार (L K Advani family) :

Lal Krishna Advani Biography In Hindi

भाजपा की वरिष्ठ नेता भारतरत्न लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के कराची में हिंदू सिंधी परिवार में हुआ था।  उनके पिताजी एक व्यापारी थे. उनके पिता का नाम श्री किशनचंद आडवाणी तथा माता का नाम श्रीमती ज्ञानी देवी था. यह परिवार भारत के कराची प्रांत (जो कि अब पाकिस्तान में है), में हुआ. कराची में रहने के बाद भारत-पाकिस्तान बँटवारे में यह परिवार पाकिस्तान से मुंबई (भारत) आ कर बस गया.lal krishna advani age

एल. के. आडवाणी शिक्षा (L K Advani Education):

उन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा सेंट पैट्रिक हाई स्कूल, कराची से पूरी की, और फिर गवर्नमेंट कॉलेज हैदराबाद, सिंध में दाखिला लिया था. उनका परिवार विभाजन के दौरान भारत में आय था और बंबई में बस गया था. आडवाणी जी (lal krishna advani) ने बॉम्बे विश्वविद्यालय के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून में स्नातक किया था

Lal Krishna Advani Biography In Hindi

एल. के. आडवाणी विवाह (Lal Krishna Advani Biography In Hindi):

भारतरत्न (Bharat Ratna )लालकृष्ण आडवाणी की शादी सन 1965 में फरवरी में कमला देवी से हुई. उन्हें 2 संताने है. उनके पुत्र का नाम जयंत आडवाणी तथा पुत्री का नाम प्रतिभा आडवाणी है. प्रतिभा आडवाणी टीवी सीरियल्स की निर्माता होने के साथ साथ अपने पिता की राजनैतिक क्रियाकलापों में सहायिका भी हैं. श्री आडवाणी की पत्नी का हृदयाघात से अचानक अप्रैल 2016 में निधन हो गया.

पसंदीदा चीजे

राजनेताश्यामा प्रसाद मुखर्जी और अटल बिहारी वाजपेयी
नेतामोहनदास करमचंद गांधी और स्वामी विवेकानंद
कॉफीस्टारबक्स कॉफी
Lal Krishna Advani Biography In Hindi

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महत्वपूर्ण घटनाएं(Lal Krishna Advani Information In Hindi)

  1.  वर्ष 1947 में लाल कृष्ण आडवाणी को करांची में  रास्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का सचिव चुना गया।
  2. • वर्ष 1951 में वे भारतीय जन संघ के के सदस्य बने. उल्लेखनीय है कि भारतीय जन संघ के स्थापना श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी।
  3. • 1966 से 1967  तक ये भारतीय जन संघ के नेता बने रहे।
  4. • 1970 से 1976 तक लाल कृष्ण आडवाणी दिल्ली से राज्य सभा के सदस्य रहे।
  5. • 1973 में उन्हें भारतीय जन संघ का रास्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
  6. • उसके पश्चात 1976 से 1982 तक लगातार वे गुजरात से राज्य सभा सदस्य बने रहे।
  7. • वर्ष 1977 में भारतीय जन संघ से हटाये जाने के बाद उन्होंने अटल विहारी वाजपेयी के साथ जनता पार्टी के सदस्यता ग्रहण कर ली।
  8. • वर्ष 1977 में जनता पार्टी ने लोक सभा में बहुमत हासिल किया और नए प्रधानमंत्री के रूप में मोरारजी देशाई नियुक्त किये गए।
  9. • जनवरी 1980 से अप्रैल 1980 तक लाल कृष्ण आडवाणी राज्य सभा में विपक्ष के नेता बने रहे।
  10. • वर्ष 1980 के दौरान इन्हें भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया. इस पद वे 1986 तक बने रहे।
  11. • वर्ष 1982 में वे पुनः तीसरी बार राज्य सभा के लिए नियुक्त हुए।
  12. • वर्ष 1986 में लाल कृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के रास्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किये गए और इस पद पर 1991 तक बने रहे।
  13. • वर्ष 1998 में वे राज्य सभा के लिए चौथी बार सदस्य चुने गए।
  14. • वर्ष 1989 में लाल कृष्ण आडवाणी 9 वीं  लोक सभा में सांसद चुने गये थे.
  15. • वर्ष 1989 से वर्ष 1991 तक लाल कृष्ण आडवाणी लोक सभा में संसदीय दल के नेता बने रहे।
  16. • वर्ष 1990 से वार्स 1991 तक लाल कृष्ण आडवाणी भर्ती एवं निर्धारण नियम 1955 के तहत लोक सभा सचिवालय  की पुनार्विक्षा  समिति के चेयरमैन बनाये गए।
  17. • वर्ष 1991 में लाल कृष्ण आडवाणी 10वी लोक सभा के आम चुनाव में दूसरी बार सांसद चुने गए।
  18. • वर्ष 1991 से 1993 तक  लाल कृष्ण आडवाणी लोक सभा में विपक्ष के नेता बने रहे।
  19. • वर्ष 1993 से 1998 तक लाल कृष्ण आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
  20. • वर्ष 1998 में लाल कृष्ण आडवानी 12 वी लोक सभा के आम चुनाव में तीसरी बार चुने गए।
  21. • वर्ष 1998 से 1999 तक लाल कृष्ण आडवाणी गृह मंत्री बने।
  22. • वर्ष 1999 में लाल कृष्ण आडवानी 13वी लोक सभा के आम चुनाव में चौथी बार चुने गए।
  23. • अक्टूबर 1999 से मई 2004 तक लाल कृष्ण आडवाणी भारत के गृह मंत्री बने रहे।
  24. • 29 जून 2002 से मई 2004 तक लाल कृष्ण आडवाणी उप प्रधान-मंत्री बने रहे।
  25. • 1 जुलाई 2002 से 25 अगस्त 2002 तक लाल कृष्ण आडवाणी वैयक्तिक,पेंशन और लोक शिकायत निवारण मामलों के संघीय कैबिनेट मंत्री बने रहे।
  26. • वर्ष 2004 में लाल कृष्ण आडवाणी 14वी लोक सभा चुनाव में 5वी बार चुने गए और लोक सभा में विपक्ष के नेता बने रहे।  
  27. • 5 अगस्त 2006 से मई 2009 तक लाल कृष्ण आडवाणी गृह मामलो की समिति के सदस्य बने रहे।
  28. • वर्ष 2009 में लाल कृष्ण आडवाणी 15वी लोक सभा छठी बार सांसद के रूप में चुने गए।
  29. • 29- मई 2009 से दिसम्बर 2009 तक लाल कृष्ण आडवाणी लोक सभा में विपक्ष के नेता बने रहे।
  30. • 4 अगस्त 2009 को लाल कृष्ण आडवाणी को पार्लियामेन्टरी काम्प्लेक्स में लगाए जाने वाले प्रमुख भारतीय रास्ट्रीय नेताओ की तस्वीरों की समिति का सदस्य बनाया गया।
  31. • 31 अगस्त 2009 को लाल कृष्ण आडवाणी को गृह मंत्रालयों की समिति का सदस्य बनाया गया।
  32. • 15 दिसम्बर 2009 को लाल कृष्ण आडवाणी को पार्लियामेन्टरी काम्प्लेक्स के विकास और उसके सभी चीजो की देख-रेख और संरक्षण पर बनी सयुक्त पार्लियामेन्टरी समिति का सदस्य बनाया गया है।

एल. के. आडवाणी राजनीतिक शुरुआत (L K Advani Political Career):

Lal Krishna Advani Biography In Hindi

लालकृष्ण आडवाणी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1942 में राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) के स्वयंसेवी के रूप में की. आर.एस.एस. एक हिन्दू संगठन है. बचपन से ही लालकृष्ण आडवाणी को राजनीतिक इंटरेस्ट था इसी वजह से आगे चलकर उन्होंने भाजपा जैसे पक्ष को मजबूत बनाया .लालकृष्ण आडवाणी सबसे पहले कराची में ही आर.एस.एस. के प्रचारक हुए और आर.एस.एस. को अपनी सेवाएँ देते हुए उन्होने आर.एस.एस. की कई शाखाएँ स्थापित की. 1952 तक उन्होने अलवाड़ में काम करने के बाद राजस्थान के ही भरतपुर, कोटा, बूंदी, झालावाड़ जिले में काम किया.

बीजेपी के सबसे लंबे समय तक के राष्ट्रीय अध्यक्ष

आपको बता दे की पू्र्व उप-प्रधानमंत्री भारतरत्न लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) 1986-1990, 1993-1998 व 2004-2005 के समय में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को संभाला। यह काम उन्होंने बहुत लगन के साथ निभाया और अपने पक्ष को ऊंचाई तक पहुंचाया. और आडवानी जी 1980 के बाद पार्टी के सबसे लंबे वक्त तक के अध्यक्ष रहे।

भारतीय जनसंघ :

1951 में श्याम प्रसाद मुखेरजी ने आर.एस. एस. के साथ मिलकर भारतीय जनसंघ की स्थापना की. आर.एस.एस. के सदस्य होने के नाते एल.के.आडवाणी भी जनसंघ से जुड़ गए. उन्हें राजस्थान में जनसंघ  के श्री एस.एस.भण्डारी के सचिव के पदपर नियुक्त किया गया. एल.के.आडवाणी. बहुत ही कुशल राजनीतिक थे.उनके कुशल नेत्रत्व के डीएम पर जल्द ही उन्हें जनसंघ में जनरल सेक्रेटरी का पद भी मिल गया. फिर राजनीति में अपना कदम आगे बढाते हुए 1957 में उन्होने दिल्ली की ओर रूख किया. वहाँ उन्हे दिल्ली के जनसंघ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. उन्होने 1967 में दिल्ली के महानगरीय परिषद चुनाव लड़े और काउंसिल के नेता बने

राज्य सभा का सफर:

सबसे पहले 1970 में राज्य सभा के सदस्य बने. फिर जनसंघ के नेता के रूप में उन्होने कई पद संभाले. फिर 1973 में कानपुर की कमेटी के अध्यक्ष रहे. अपनी पार्टी के प्रति और उनके उसूलों के प्रति वे काफी सजग थे. अध्यक्ष के तौर पर उन्हें भारतीय जनसंघ के अनुभवी नेता बलराज माधव का कार्य ठीक नहीं लगा.

1975  में इन्दिरा गांधी की केंद्र सरकार के दौरान आपातकालीन स्थिति में कई विरोधी दल भारतीय जन संघ के साथ जुड़ गए एवं आपात कालीन स्थिति का विरोध करने लगे तथा इसी के बाद भारतीय जनता पार्टी का निर्माण हुआ. राजनीति में यूंही आगे बढ़ते हुए श्री आडवाणी जी (lal krishna advani) 1976 से 1982 तक गुजरात से राज्य सभा के सदस्य रहे. 1977 में एल. के. आडवाणी ने अटल बिहारी वजपायी जी के साथ मिलकर लोक सभा के चुनाव लड़े.

जनता पार्टी से भारतीय जनता पार्टी तक का सफर :

1977 में समाजवादी पार्टी, स्वतंत्र पार्टी, लोक दल तथा जनसंघ ने मिलकर नए संघठन का निर्माण किया. राजनीति में नेताओं का पार्टी का बदलना आम बात है. इसी क्रम में इंडियन नेशनल काँग्रेस के जगजीवन भी पार्टी बदल कर जनता पार्टी के गठबंधन में शामिल हो गए. 

फिर जनता पार्टी में एक नया मोड आया और कई दिग्गज एवं अनुभवी नेता ने जनता पार्टी छोड़ कर एक नयी पार्टी का निर्माण किया. इस पार्टी को  “भारतीय जनता पार्टी” (भा.ज.पा.) का नाम दिया गया. आडवाणी इस नयी पार्टी के वशिष्ठ एवं महत्वपूर्ण नेता थे. इसके बाद वे 1982 में उच्च सदन (राज्य सभा) के लिए पार्टी द्वारा मध्य प्रदेश से मनोनीत हुए. इसी प्रकार भाजपा पक्ष का निर्माण हुआ और आज भी राजनीति में उनका पक्ष सक्रिय है.

बी.जे.पी.(BJP) का उदय :

अटल बिहारी वाजपाई को नयी भारतीय जनता पार्टी के सबसे पहले अध्यक्ष के तौर पर चुना गया. अटलजी की अध्यक्षता में पार्टी में हिन्दुत्व की भावना और अधिक प्रज्वलित हुई. लेकिन 1984 में बी.जे.पी. सरकार को सत्ता गवानी पड़ी. 1984 के चुनाव के कुछ समय पहले इन्दिरा गांधी की अचानक हत्या के बाद सभी वोट काँग्रेस को ही मिले और बी.जे.पी. को सिर्फ दो लोक सभा सीटों से ही संतोष करना पड़ा. इसके बाद अटलजी को अध्यक्ष पद से हटा कर एल.के.आडवाणी को नया अध्यक्ष घोषित किया गया. आडवाणी के नेत्रत्व में भाजपा ने “राम जन्मभूमि” का मुद्दा उठाया. आज भी भाजपा का राजनीतिक मुद्दा “राम मंदिर निर्माण” है.

Lal Krishna Advani Biography In Hindi

1980 में विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने राम मंदिर निर्माण की मुहिम शुरू की. बी.जे.पी. नेताओं तथा कई हिंदुओं का यह मानना है कि अयोध्या श्री राम की जन्मभूमि है.  यहाँ स्थित बाबरी मस्जिद के पहले राम मंदिर ही था, परंतु मुग़ल शासक बाबर ने उस मंदिर को तुडवा कर मंदिर की जगह मस्जिद का निर्माण करवाया है. और इसी के विरोध में सभी हिन्दू तथा बी.जे.पी. नेता मस्जिद की जगह “राम मंदिर” बनवाना चाहते हैं. हमेशा से ही भाजपा पक्ष का राम मंदिर यह मुद्दा रहा है और हाल ही में नरेंद्र मोदी के द्वारा राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा हुई. इसे लेकर भी काफी विवाद हुए.

एन.डी.ए. (NDA) सरकार में ग्रहमन्त्री :

1996 के चुनाव के बाद बी.जे.पी. सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभर कर सामने आई और इसलिए उसे केंद्र में सरकार बनाने के लिए राष्ट्रपति की ओर से प्रस्ताव पेश किया गया. एन.डी.ए. सरकार में अग्रसर बी.जे.पी. फिर एक बार 1998 में लौट कर आई और वाजपाई जी ने मार्च 1998 में फिर एक बार प्रधानमंत्री की शपथ ली. लेकिन 13 महीने बाद ही एन.डी.ए. से जयललिता ने अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे एन.डी.ए. सरकार मात्र 13 महीने में ही गिर गयी.(lal krishna advani)

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लेकिन इस सरकार को वाजपाईजी ने अगले चुनाव तक संभाला और उनके साथ एल.के.आडवाणी ग्रहमन्त्री रहे. इसके बाद एन.डी.ए. सरकार ने 2004 तक अपने पूरे कार्यकाल में रही, और इस दौरान आडवाणीजी के पद में उन्नति हुई और वे “भारत के उप-प्रधानमंत्री” बने.

प्रधानमंत्री पद की दावेदारी : (Lal Krishna Advani History In Hindi)

Lal Krishna Advani Biography In Hindi

लालकृष्ण आडवाणी ने एक न्यूज़ चैनल को दिये, इंटरव्यू में यह कहा कि वह खुद को 2009 के चुनाव में प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार मानते हैं. उनकी इस दावेदारी को प्रोत्साहन देते हुए बी.जे.पी. के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि “अटलजी के बाद, आडवाणी ही है, वे प्रधानमंत्री पद के लिए प्राकृतिक रूप से दावेदार है.

इसी कड़ी में दिसम्बर 2007 में अगले चुनाव के लिए भाजपा ने एल.के. आडवाणी को प्रधानमंत्री के लिए दावेदार घोषित किया. लेकिन शायद आडवाणी जी की किस्मत में नही था प्रधानमंत्री बनना. 2009 में फिर एक बार काँग्रेस सरकार केंद्र में आई और डॉ. मनमोहन सिंह ने दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. और 2009 में भी लाल कृष्ण आडवाणी जी का प्रधानमंत्री बनने का सपना वैसे ही रह गया.

आडवाणी पर आरोप (L K Advani controversy) :

आडवाणी दिग्गज तथा दूरदर्शी, नेता थे, फिर भी राजनीति में रहते उन पर कई आरोप भी लगे. उन पर हवाला ब्रोकर्स से रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया, लेकिन सूप्रीम कोर्ट ने सबूतों के अभाव में इन्हे बाइज्जत बरी कर दिया. 2004 के बाद अटलजी ने आडवाणी को बी.जे.पी. में सक्रिय भूमिकाओं में आगे किया और 2009 तक आडवाणी विपक्ष के अध्यक्ष रहे.

लेकिन इस दौरान उन्हें पार्टी का ही विरोध झेलना पड़ा. उनके करीबी माने जाने वाले पार्टी के नेता मुरली मनोहर जोशी, मदनलाल खुराना, उमा भारती ने उनका विरोध शुरू कर दिया. एल.के. आडवाणी की आलोचनाओं का दौर यहीं खत्म नहीं हुआ. एक बार जून 2005 में वे कराची के दौरे पर गए, जो कि उनका जन्मस्थान है, वहाँ उन्होने मोहम्मद अली जिन्नाह को एक धर्मनिरपेक्ष नेता बताया.

यह बात आर.एस.एस. के हिन्दू नेताओं के गले नहीं उतरी और आर.एस.एस. ने इस बयान के विरोध में आडवाणी के इस्तीफे की मांग कर दी. आडवाणी जी को विपक्ष के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन बाद में उन्होने अपना इस्तीफा वापस ले लिया.

Bharat Ratna: लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान

Lal Krishna Advani Biography In Hindi

3 फरवरी को भाजपा के संस्थापक चेहरों में से एक लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का एलान किया गया है। खुद पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर इसकी घोषणा की। प्रधानमंत्री ने पोस्ट में कहा कि भारत के विकास में उनका योगदान स्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर देश के उप-प्रधानमंत्री के तौर पर काम करते हुए चला। (Bharat Ratna for Lal Krishna Advani)

इसी प्रकार लाल कृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न पुरस्कार जाहिर किया है भारत के विकास में उनका योगदान स्मरणीय है। उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर देश के उप-प्रधानमंत्री के तौर पर काम करते हुए चला। उन्होंने गृह मंत्री और सूचना-प्रसारण मंत्री के तौर पर काम करते हुए भी खुद को दूसरों से अलग किया। उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय रहे हैं और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं।”

आडवाणी जी की रथ यात्राएं :

Lal Krishna Advani Biography In Hindi

देश की राजनीति में सर्वाधिक यात्राएं निकालने वाले आडवाणी ही एकमात्र नेता हैं. उनके नेत्रत्व में 6 बड़ी बड़ी यात्राएं हुई, जिनहोने भाजपा को राजनीति में बहुत मदद की. यात्राओं के सफल होने का श्रेय एल.के. आडवाणी को ही जाता है. आडवाणी को रथ यात्रा का नेता भी कहा जाता है. आडवाणी जी के अनुसार रथ यात्रा एक धार्मिक यात्रा होती है, जो देश के प्रति राष्ट्रीय धर्म को जगाती है. lal krishna advani previous offices

1. राम रथ यात्रा :

आडवाणीजी ने अपनी सबसे पहली रथ यात्रा को नाम दिया “राम रथ यात्रा”. आडवाणीजी के नेत्रत्व में यह यात्रा गुजरात के सोमनाथ मंदिर से 25 सितम्बर 1990 से प्रारम्भ हो कर 30 अक्टूम्बर को अयोध्या पहुंची. इस यात्रा का मुख्य मुद्दा “राम मंदिर निर्माण” था। कोई इस यात्रा को राजनीतिक चाल समझ रहा था, तो कोई इसे भारत के लिए राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत जुलूस मान रहा था.

2. जनादेश यात्रा :

भारत के चार कोनों से  सितंबर 1993 में यह यात्रा शुरू हुई. आडवाणी जी ने मैसूर से इस यात्रा की अगुवाई की. भारत के 14 राज्यों तथा 2 केंद्र शासित प्रदेश से होती हुई,  यह यात्रा 25 सितंबर को भोपाल में मिली.  इस यात्रा का उद्देश्य भारत के नागरिक को उसके अपने धर्म को मानने से संबन्धित दो बिलों को पारित करवाना था.

3. स्वर्ण जयंती रथ यात्रा :

 भारत की अहजादी की 5वीं सालगिरह के अवसर पर आडवाणीजी ने स्वर्ण जयंती रथ यात्रा का आगाज़ किया. इस यात्रा के द्वारा पूरे भारत में आजादी का जश्न मनाया गया. इस यात्रा को आडवाणीजी ने मई 1997 से जुलाई 1997 तक पूरी की. इस यात्रा द्वारा देश की आजादी में शहीद होने वाले महापुरुषों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. आडवाणी जी ने इस यात्रा को  स्वर्ण जयंती रथ यात्रा –राष्ट्र भक्ति की तीर्थ यात्रा” का नाम दिया. इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य  भारतीयों के दिल में राष्ट्र भक्ति की भावना जगाना था.

4. भारत उदय यात्रा :

2004 में अटल बिहारी वाजपाई की सरकार के दौरान देश की कई क्षेत्र में उन्नति हुई. भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई. इसी कारण आडवाणी ने बहरत उदय यात्रा निकालते हुए कहा, कि भाजपा सरकार के समय भारत का उदय हुआ है और इस यात्रा द्वारा भारत की उन्नति का जश्न मनाया गया. यह यात्रा मार्च 2004 में आडवाणी के नेत्रत्व में निकाली गयी.

5. भारत सुरक्षा यात्रा :

मार्च 2006 में वाराणसी के हिन्दू तीर्थ स्थान पर बम धमाके हुए थे. इसके भाजपा सरकार ने केंद्र में बैठी काँग्रेस को गैर जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाए, कि काँग्रेस सरकार देश की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दे रही है. इसी के विरोध में आडवाणी ने 6 अप्रैल 2006 से 10 मई 2006 तक “भारत सुरक्षा यात्रा” निकाली. इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य देश को आतंकवाद, भ्रष्टाचार, अल्पसंख्यक पर राजनीति, प्रजातन्त्र की रक्षा तथा महंगाई के प्रति सजग करना था.

6. जन चेतना यात्रा :

भाजपा के नेता श्री जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थाली सिताब दायरा, बिहार से शुरू हुई जन चेतना यात्रा की अगुवाई एल.के. आडवाणी ने अक्टूबर 2011 से की. कॉंग्रेस सरकार के दौरान देश में फ़ैल रहे भ्रष्टाचार के विरोध में यह यात्रा निकाली गयी. आडवाणी जी ने इस यात्रा को उनकी सबसे सफल यात्रा बताया.

राम मंदिर से राम राज्य की कल्पना

आडवाणी ने 6 अप्रैल, 2004 को भारत उदय यात्रा के क्रम में अयोध्या में थे। तब उप-प्रधानमंत्री रहे आडवाणी ने कहा, ‘भाजपा के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग लेना धार्मिकता से प्रेरित नहीं था।

मेरा मानना है कि 1989 और 1996 के बीच भाजपा के असाधारण विकास का श्रेय राम जन्मभूमि आंदोलन के समर्थन को जाता है। हमारे लिए, अयोध्या हमेशा राष्ट्रीय जागृति का एक शक्तिशाली प्रतीक रहेगा। लाखों हिंदुओं की भावनाएं अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर एक भव्य मंदिर के निर्माण से जुड़ी हुई हैं।’ और हाल ही में राम मंदिर का निर्माण हुआ और मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई

राजनीति में बुरा दौर :

Lal Krishna Advani Biography In Hindi

2009 चुनाव हारने के बाद एल.के. आडवाणी ने पार्टी के दूसरे नेताओं के लिए रास्ता साफ किया और पार्टी में ज्यादा सक्रिय नही हुए. 2009 में सुषमा स्वराज भाजपा की ओर से लोक सभा में विपक्ष के अध्यक्ष के रूप में चुनी गयी. 2014 के चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी की सभी मुहिमो में प्रबल दावेदारी एवं भागीदारी रही और इस पर आडवाणीजी ने नाराज होते हुए बी.जेआर.पी. पर आरोप लगाते हुए कहा, कि यह पार्टी श्याम प्रसाद मुखर्जी, दीनदायल उपाध्याय, ननजी देशमुख और अटल बिहारी वाजपाई द्वारा बनाई गयी पहले जैसी पार्टी नहीं रही.

इसके बाद 11 जून 2013 में आडवाणीजी ने भाजपा के सभी पद से इस्तीफा दे दिया. लेकिन भाजपा की वरिष्ठ समिति ने 11 जून 2013 को ही इस्तीफा अमान्य करते हुए बी.जे.पी.अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने आडवाणी को आश्वासन देते हुए कहा, कि पार्टी में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है. पार्टी को हमेशा ही आडवाणी जैसे दिग्गज, अनुभवी नेता की आवश्यकता रहेगी. (lal krishna advani)

निष्कर्ष

तो आशा है दोस्तों की हमको यह पोस्ट “लाल कृष्ण आडवाणी का जीवन परिचय| Lal Krishna Advani Biography In Hindi”अच्छा लगा होगा और अगर यह पोस्ट जानकारी पूर्ण लगा होगा तो यह पोस्ट अपने प्रिय जनों के साथ शेयर जरूर करें और ऐसे ही प्रेरणा चाहिए जीवन परिचय पढ़ने के लिए हमारे साइट को सब्सक्राइब कीजिए धन्यवाद !

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