महात्मा गांधी जी की प्रेरणादायक जीवनी : Mahatma Gandhi biography

महात्मा गांधी जी की प्रेरणादायक जीवनी

 : Mahatma Gandhi biography

महात्मा गांधी की जीवनी, निबंध, मोहनदास करमचंद गांधी का जीवन परिचय माता, पत्नी, बेटा -बेटी,हत्यारे का नाम, जन्म- मृत्यु, आंदोलनों के नाम की लिस्ट, सुचि (Mahatma Gandhi Biography (Jivani) jivan Parichay story itihas history In Hindi) 

Table of Contents

भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया। महात्मा गांधी ने चंपारण आंदोलन, खेड़ा आंदोलन, खिलाफत आंदोलन, नमक आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन किए। गांधी जी के बारे में हमें जरूर जानना चाहिए, क्योंकि यह हमारे राष्ट्रपिता के तौर पर जाने जाते हैं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में यहाँ पढ़ें. इस स्वतंत्रता संग्राम में दो तरह के सेनानी हुआ करते थे,

पहले -: जो अंग्रेजों द्वारा किये जाने वाले अत्याचारों का जवाब उन्हीं की तरह खून – खराबा करके देना चाहते थे, इनमें प्रमुख थे -: चंद्रशेखर आज़ाद, सरदार भगत सिंह, आदि.

 

दूसरे तरह के सेनानी थे -: जो इस खूनी मंज़र के बजाय शांति की राह पर चलकर देश को आज़ादी दिलाना चाहते थे, इनमें सबसे प्रमुख नाम हैं-:महात्मा गांधीका. उनके इसी शांति, सत्य और अहिंसा का पालन करने वाले रवैये के कारण लोग उन्हें महात्मा’ संबोधित करने लगे थे.  राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी द्वारा जीवन भर अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया गया था और देश को परतंत्रता की बेड़ियों मुक्ति दिलाई गयी थी। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपको महात्मा गांधी की जीवनी, सम्बंधित जानकारी प्रदान की गयी है ताकि आप गांधीजी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सके।

Mahatma Gandhi biography

Mahatma Gandhi biography : जीवन परिचय

नाम मोहनदास करमचंद गांधी
पिता का नाम करमचंद गांधी
माता का नाम पुतलीबाई
जन्म दिनांक 2 अक्टूबर, 1869
जन्म स्थान गुजरात के पोरबंदर क्षेत्र में
राष्ट्रीयता भारतीय
धर्म हिन्दू
जाति गुजराती
शिक्षा बैरिस्टर
पत्नि का नाम कस्तूरबाई माखंजी कपाड़िया [कस्तूरबा गांधी]
संतान बेटा बेटी का नाम 4 पुत्र -: हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास
मृत्यु 30 जनवरी 1948
हत्यारे का नाम नाथूराम गोडसे

महात्मा गांधी का जन्म, जाति, परिवार, पत्नी, बेटे (Mahatma Gandhi Birth, Caste, Family, Wife, Son)

महात्मा गांधी को महात्मा, ‘महान आत्मा’ और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता पर ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। महात्मा गांधी का जन्म भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर क्षेत्र में हुआ था. उनके पिता श्री करमचंद गांधी पोरबंदर के ‘दीवान’ थे और माता पुतलीबाई एक धार्मिक महिला थी.। गांधी बचपन से ही न तो कक्षा में मेधावी थे और न ही खेल के मैदान में बेहतर थे। गांधी जी एक गुजराती परिवार से संबंध रखते थे. इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था. महात्मा गांधी जी के 4 बेटे थे हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास.

महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा

मोहनदास करमचंद गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक कस्बे में हुआ था। इनके पिता करमचंद गाँधी ब्रिटिश रियासत में पोरबंदर के दीवान थे जबकि इनकी माताजी पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव की गृहस्थ महिला थी। घर में धार्मिक और आध्यात्मिक माहौल होने के कारण गांधीजी का बचपन से ही अध्यात्म के प्रति लगाव था साथ ही माता की धार्मिक प्रवृति का भी गांधीजी के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। गाँधीजी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुयी थी।नवंबर, सन 1887 में उन्होंने अपनी मेट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण [पास] कर ली थी और जनवरी, सन 1888 में उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया था और यहाँ से डिग्री प्राप्त की. इसके बाद वे लंदन गये और वहाँ से बेरिस्टर बनकर लौटे.

Mahatma Gandhi
Photo Young Mahatma Gandhi

Mahatma Gandhi की दक्षिण अफ्रीका यात्रा (South Africa Visit)

इंग्लैंड से अपनी बैरिस्टरी पूरी करने के पश्चात गांधीजी राजकोट में आकर वकालत करने लगे। इसी बीच दक्षिण अफ्रीका में भारतीय व्यापारी सेठ अब्दुल्ला के बुलावे पर वे उनका मुकदमा लड़ने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए। वहां डरबन से ट्रैन के माध्यम से उन्हें प्रिटोरिया जाना था जिसके लिए उन्होंने रेल की फर्स्ट क्लास का टिकट लिया। उन दिनों अफ्रीका में अश्वेत और एशियन लोगो को फर्स्ट क्लास डिब्बे में बैठने की अनुमति नहीं थी इसलिए अंग्रेज टिकट चेकर ने गांधीजी को पीटरमारिट्जबर्ग स्टेशन पर धक्के मारकर बाहर निकाल दिया।

इस घटना ने गांधीजी को अंदर से झकझोर दिया और उन्होंने इस नस्लभेद के खिलाफ आवाज उठाने का बीड़ा उठा लिया। कई इतिहासकार इस घटना को मोहनदास करमचंद गाँधी की Mahatma Gandhi  बनने की यात्रा में महत्वपूर्ण कदम मानते है। इसके पश्चात उन्होंने अफ्रीका में नस्लभेद के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए 1894 में नेटल कांग्रेस की स्थापना की।

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लंदन में प्रवास और अपने करियर की खोज

गांधी जी डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने जोर देकर कहा कि वे बैरिस्टर बनें। उस समय, इंग्लैंड ज्ञान का केंद्र था, इसलिए उन्हें अपने पिता के सपने की खोज में स्मालदास कॉलेज छोड़ना पड़ा। अपनी माँ के आग्रह और संसाधनों की कमी के बावजूद, वह इंग्लैंड जाने के लिए अड़े थे। अंत में, सितंबर 1888 में, वह इंग्लैंड के लिए रवाना हुए, जहां उन्होंने लंदन के चार लॉ कॉलेजों में से एक, इनर टेम्पल में प्रवेश लिया। उन्होंने 1890 में लंदन विश्वविद्यालय में मैट्रिक की परीक्षा भी दी ।

लंदन में अपने समय के दौरान, उन्होंने अपनी पढ़ाई को गंभीरता से लिया और एक सार्वजनिक बोलने वाले अभ्यास समूह में भी शामिल हो गए, जिससे उन्हें कानून का अभ्यास करने के लिए अपने शर्मीलेपन को दूर करने में मदद मिली। लंदन में एक आक्रोशपूर्ण संघर्ष में, कुछ डॉक्टर बेहतर वेतन और शर्तों की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए।

लंदन में एक और महत्वपूर्ण उदाहरण में शाकाहार के लिए उनका मिशनरी कार्य शामिल था। गांधीजी लंदन वेजिटेरियन सोसाइटी में कार्यकारी समिति के सदस्य बने और विभिन्न सम्मेलनों में भी भाग लिया और इसकी पत्रिका में लेखों का योगदान दिया। इंग्लैंड में शाकाहारी रेस्तरां की अपनी यात्राओं के दौरान, गांधी ने एडवर्ड कारपेंटर, जॉर्ज बर्नार्ड शॉ और एनी बेसेंट जैसे उल्लेखनीय समाजवादियों, फैबियन और थियोसोफिस्टों से मुलाकात की।

महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के रूप में

विश्व स्तर पर प्रसिद्ध व्यक्ति, महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है।Mahatma Gandhi की शिक्षा ने उन्हें दुनिया के सबसे महान लोगों में से एक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने पोरबंदर के एक प्राथमिक स्कूल में पढ़ाई की, जहां उन्होंने पुरस्कार और छात्रवृत्तियां जीतीं, लेकिन पढ़ाई के प्रति उनका दृष्टिकोण सामान्य था। 1887 में गांधी ने बॉम्बे विश्वविद्यालय में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और भावनगर के  समालदास कॉलेज में प्रवेश लिया।

महात्मा गांधी का भारत आगमन और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान  

सन 1916 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौटे और फिर हमारे देश की आज़ादी के लिए अपने कदम उठाना शुरू किया. सन 1920 में कांग्रेस लीडर बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु के बाद गांधीजी ही कांग्रेस के मार्गदर्शक थे.

सन 1914 – 1919 के बीच जो प्रथम विश्व युध्द [1st World War] हुआ था, उसमें गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार को इस शर्त पर पूर्ण सहयोग दिया, कि इसके बाद वे भारत को आज़ाद कर देंगे. परन्तु जब अंग्रेजों ने ऐसा नहीं किया, तो फिर गांधीजी ने देश को आज़ादी दिलाने के लिए बहुत से आंदोलन चलाये. इनमें से कुछ आंदोलन निम्नानुसार हैं -:

  • सन 1920 में -: असहयोग आंदोलन [Non Co-operation Movement],
  • सन 1930 में -: अवज्ञा आंदोलन [Civil Disobedience Movement],
  • सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन [Quit India Movement].

वैसे तो गांधीजी का संपूर्ण जीवन ही एक आंदोलन की तरह रहा. परन्तु उनके द्वारा मुख्य रूप से 5 आंदोलन चलाये गये, जिनमें से 3 आंदोलन संपूर्ण राष्ट्र में चलाये गए और बहुत सफल हुए और इसलिए लोग इनके बारे में जानकारी भी रखते हैं. गांधीजी द्वारा चलाये गये इन सभी आन्दोलनों को हम निम्न प्रकार से वर्गीकृत कर सकते हैं -:

महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन

महात्मा गाँधी द्वारा देश में कई प्रमुख आंदोलन किये गए जिन्हे देश की जनता भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ। गांधीजी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर 3 मुख्य आंदोलन किया गए थे और कई अन्य आंदोलनों को भी समर्थन दिया गया था। गाँधीजी द्वारा प्रमुख आंदोलनों का विवरण इस प्रकार है।

1) चम्पारण सत्याग्रह (Champaran Satyagraha)

स्वदेश लौटने के पश्चात गांधीजी का सत्याग्रह का पहला प्रयोग बिहार के चम्पारण में किया गया था। राजकुमार शुक्ल नामक किसान के आग्रह पर गांधीजी उतर भारत के नील उत्पादक किसानों की दशा देखने आये। ब्रिटिशर्स द्वारा किसानो को जबरदस्ती नील की खेती के लिए मजबूर किया जा रहा था और इसके बदले में किसानो को मिलने वाली आमदनी भी कम थी। गांधीजी के सत्याग्रह के परिणामस्वरूप ब्रिटिशर्स को अपनी नीति में बदलाव करना पड़ा था।

 

अहमदाबाद मिल-मजदूर आंदोलन(Ahmedabad mill-labour movement)

चम्पारण के पश्चात गांधीजी ने अहमदाबाद में कॉटन मिल-मजदूरों के समर्थन में आंदोलन किया। अहमदाबाद में कॉटन मिल में श्रमिकों और फैक्ट्री मालिकों के बीच सैलरी को लेकर विवाद हो गया था जिसके पश्चात गाँधीजी की मध्यस्थता से दोनों पक्षों के बीच आपसी मुद्दों पर समझौता संभव हो सका।

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2) खेड़ा सत्याग्रह (Kheda Satyagraha) 

वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले में अकाल के कारण किसानो की फसल ख़राब हो गयी जिस पर किसानो द्वारा ब्रिटिश सरकार से लगान माफ़ करने की गुहार की गयी परन्तु ब्रिटिश सरकार द्वारा किसानो की मांग को दरकिनार करते हुए पूरा लगान चुकाने की बात कही गयी। इस पर गांधीजी के द्वारा किसानो को समर्थन दिया गया जिसके पश्चात ब्रिटिशर्स द्वारा किसानो को करों में रियायत दी गयी।

रौलेट एक्ट का विरोध (opposition of Rowllet act)

8 मार्च 1919 को ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीय राष्ट्रवादियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए रौलेट एक्ट पास किया गया। इस कानून के अनुसार अंग्रेज सरकार बिना किसी गुनाह के किसी भी नागरिक को सिर्फ शक के आधार पर गिरफ्तार कर सकती थी। इसके विरोध में गांधीजी ने देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था। इस एक्ट का विरोध करने के परिणामस्वरूप जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था।

3) खिलाफत आन्दोलन 1919 (khilafat movement 1919)

टर्की के खलीफा को गद्दी से हटाये जाने के विरोध में मुस्लिमो द्वारा शुरू किये गए खिलाफत आन्दोलन को गांधीजी द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन को जोड़ दिया गया था राहुल गांधी जीवन परिचय  जिसके पश्चात पूरे देश में सभी समुदाय के लोगो ने बढ़-चढ़कर देश के स्वतन्त्रता संग्राम में हिस्सा लिया था।

4) दलित आंदोलन (dalit movement)

देश में फैली छुआछूत और जातपात की कुप्रथा को दूर करने के लिए 8 मई 1933 से गांधीजी द्वारा दलित आंदोलन शुरू किया गया था। इस आंदोलन के माध्यम से गांधीजी द्वारा दलित वर्ग के लोगो के प्रति होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए विभिन कार्यक्रम चलाये गए थे।

महात्मा गांधी द्वारा किए गए प्रमुख राष्ट्रीय आंदोलन

गांधीजी द्वारा अपने जीवनकाल में विभिन आंदोलनों का नेतृत्व किया गया था। हालांकि इन आंदोलनों में गांधीजी द्वारा आयोजित 3 प्रमुख आंदोलनों का नाम प्रमुखता से आता है जो की निम्न प्रकार से है – असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन एवं भारत छोड़ो आंदोलन। गांधीजी द्वारा आयोजित ये तीनों आंदोलन राष्ट्रीय स्तर के आंदोलन थे जिनका सम्पूर्ण भारतवर्ष पर विस्तृत प्रभाव रहा। इन तीनों आंदोलनों में देश की जनता ने गांधीजी का बढ़-चढ़कर समर्थन किया था। इन आंदोलनों का विवरण इस प्रकार से है।

असहयोग आंदोलन (Non Co-operation Movement)

गांधीजी द्वारा अंग्रेजों के प्रति यह पहला प्रमुख राष्ट्रव्यापी आंदोलन था जिसके माध्यम से गांधीजी ने पूरे देश को एकजुट किया। रौलेट एक्ट के विरोध में सभा करने पर अंग्रेज सरकार द्वारा जनरल डायर के नेतृत्व में निहत्थी भीड़ पर गोली चलायी गयी थी जिसके परिणामस्वरूप हजारो निर्दोष लोगो को अपना जान गवाँनी पड़ी थी। अंग्रेजो के इस अत्याचार के विरुद्ध Mahatma Gandhi द्वारा असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गयी थी।

असहयोग आंदोलन का विस्तृत वर्णन (Non Co-operation Movement Description in Detail)

यह आंदोलन सितम्बर, 1920 से शुरू हुआ और फेब्रुअरी, 1922 तक चला था. गांधीजी द्वारा चलाये गये 3 प्रमुख आंदोलनों में से यह पहला आंदोलन था. इस आंदोलन को शुरू करने के पीछे महात्मा गांधी की ये सोच थी कि भारत में ब्रिटिश सरकार केवल इसीलिए राज कर पा रही है, क्योंकि उन्हें भारतीय लोगों द्वारा ही सपोर्ट किया जा रहा हैं, तो अगर उन्हें ये सपोर्ट मिलना ही बंद हो जाये, तो ब्रिटिश सरकार के लिए भारतीयों पर राज कर पाना मुश्किल होगा, इसलिए गांधीजी ने लोगों से अपील की कि वे ब्रिटिश सरकार के किसी भी काम में सहयोग न करें, परन्तु इसमें किसी भी प्रकार की हिंसात्मक गतिविधि शामिल न हो. लोगों को गांधीजी की बात समझ में आयी और सही भी लगे. लोग बहुत बड़ी मात्रा में, बल्कि राष्ट्रव्यापी [Nationwide] स्तर पर आंदोलन से जुड़ें और ब्रिटिश सरकार को सहयोग करना बंद कर दिया. इसके लिए लोगों ने अपनी सरकारी नौकरियां, फेक्ट्री, कार्यालय, आदि छोड़ दिए. लोगों ने अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों और कॉलेजों से निकाल लिया. अर्थात् हर वो प्रयास किया, जिससे अंग्रेजों को किसी भी प्रकार की सहायता ना मिले. परन्तु इस कारण बहुत से लोग गरीबी और अनपढ़ होने जैसी स्थिति में पहुँच गये थे, परन्तु फिर भी लोग ये सब अपने देश की आज़ादी के लिए सहते रहे. उस समय कुछ ऐसा माहौल हो गया था कि शायद हमें तभी आज़ादी मिल जाती. परन्तु आंदोलन की चरम स्थिति पर गांधीजी ने ‘चौरा – चौरी’ नामक स्थान पर हुई घटना के कारण इस आंदोलन को समाप्त करने का निर्णय ले लिया.

सविनय अवज्ञा आंदोलन/दांडी यात्रा/नमक सत्याग्रह आंदोलन / [Civil Disobedience Movement / Dandi March/Salt Satyagrah Movement )

वर्ष 1930 में गांधीजी द्वारा द्वारा दूसरा राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया गया जिसका नाम सविनय अवज्ञा आंदोलन था। इस आंदोलन का उद्देश्य अंग्रेज सरकार द्वारा जनता के हितो के प्रतिकूल बनाये गए कानूनों की पूर्ण अवज्ञा अर्थ अवहेलना करना था। इसी आंदोलन के परिणामस्वरुप गांधीजी द्वारा दांडी यात्रा का आयोजन किया गया जिसके पश्चात गांधीजी द्वारा अंग्रेजो के नमक कानून की अवहेलना करते हुए नमक बनाया गया था।

 

सविनय अवज्ञा आंदोलन का विस्तृत वर्णन (Civil Disobedience Movement Description in Detail)

गांधीजी द्वारा नमक सत्याग्रह की शुरुआत 12 मार्च, सन 1930 को गुजरात के अहमदाबाद शहर के पास स्थित साबरमती आश्रम से की गयी और यह यात्रा 5 अप्रैल, सन 1930 तक गुजरात में ही स्थित दांडी नामक स्थान तक चली. यहाँ पहुंचकर गांधीजी ने नमक बनाया और यह कानून तोडा और इस प्रकार राष्ट्रव्यापी  अवज्ञा आंदोलन [Civil Disobedience Movement] की शुरुआत हुई. यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण चरण था. यह ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक बनाये जाने के एकाधिकार [Monopoly] पर सीधा प्रहार था और इसी घटना के बाद यह आंदोलन संपूर्ण देश में फ़ैल गया था. इसी समय अर्थात् 26 जनवरी, सन 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ‘पूर्ण स्वराज’ की भी घोषणा कर दी थी. महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा 24 दिनों में पूरी की और इस दौरान उन्होंने साबरमती से दांडी तक लगभग 240 मील [390 कि. मी.] की दूरी तय की थी. यहाँ उन्होंने बिना किसी टैक्स का भुगतान किये नमक बनाया. इस यात्रा की शुरुआत में उनके साथ 78 स्वयंसेवक [Volunteers] थे और यात्रा के अंत तक यह संख्या हजारों हो गयी थी. यहाँ वे 5 अप्रैल, सन 1930 को पहुंचे और यहाँ पहुंचकर उन्होंने इसी दिन सुबह 6.30 बजे उन्होंने नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अहिंसात्मक सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की और इसे भी हजारों भारतीयों ने मिलकर सफल बनाया.

भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement)

ब्रिटिश सरकार की जड़ो पर प्रहार करने के लिए गांधीजी द्वारा वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन चलाया गया था। इस आंदोलन के दौरान देश में स्वतंत्रता संग्राम अपने चरम पर था और गांधीजी द्वारा इसी आंदोलन के दौरान करो या मरो का नारा दिया गया था। इस आंदोलन में गांधीजी द्वारा लोगो को आजादी प्राप्त करने के लिए पूरा जोर लगाने के लिए उत्साहित किया गया था।

भारत छोड़ो आंदोलन का विस्तृत वर्णन (Quit India Movement Description in Detail)

सन 1942 में Mahatma Gandhi द्वारा चलाया गया तीसरा बड़ा आंदोलन था -: भारत छोड़ो आंदोलन. इसकी शुरुआत महात्मा गांधी ने अगस्त, सन 1942 में की गयी थी. परन्तु इसके संचालन में हुई गलतियों के कारण यह आंदोलन जल्दी ही धराशायी [collapsed] हो गया अर्थात यह आंदोलन सफल नहीं हो सका था. इसके असफल होने के पीछे कई कारण थे, जैसे -: इस आंदोलन में विद्यार्थी, किसान, आदि सभी के द्वारा हिस्सा लिया जा रहा था और उनमें इस आंदोलन को लेकर बड़ी लहर थी और आंदोलन संपूर्ण देश में एक साथ शुरू नहीं हुआ अर्थात् आंदोलन की शुरुआत अलग – अलग तिथियों पर होने से इसका प्रभाव कम हो गया, इसके अलावा बहुत से भारतीयों को ऐसा भी लग रहा था कि यह स्वतंत्रता संग्राम का चरम हैं और अब हमें आज़ादी मिल ही जाएगी और उनकी इस सोच ने आंदोलन को कमजोर कर दिया. परन्तु इस आंदोलन से एक बात ये अच्छी हुई कि इससे ब्रिटिश शासकों को यह एहसास हो गया था, कि अब भारत में उनका शासन नहीं चल सकता, उन्हें आज नहीं तो कल भारत छोड़ कर जाना होगा.

इस तरह गांधीजी द्वारा उनके जीवनकाल में चलाये गये सभी आंदोलनों ने हमारे देश की आज़ादी के लिए अपना सहयोग दिया और अपना बहुत गहरा प्रभाव छोड़ा.

आंदोलनों की विशेषता (Keyfeatures of such movements)

Mahatma Gandhi ने जितने भी आंदोलन किये, उन सभी में कुछ बातें एक समान थी, जिनका विवरण निम्नानुसार हैं -:

  • ये आंदोलन हमेशा शांतिपूर्ण ढंग से चलाये जाते थे.
  • आंदोलन के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसात्मक गतिविधि होने पर गांधीजी द्वारा वह आंदोलन रद्द कर दिया जाता था. यह भी एक कारण था कि हमें आज़ादी कुछ देर से मिली.
  • आंदोलन हमेशा सत्य और अहिंसा की नींव पर किये जाते थे.

 

महात्मा गाँधी का जीवन दर्शन

गांधीजी एक महान लीडर तो थे ही, परन्तु अपने सामाजिक जीवन में भी वे ‘सादा जीवन उच्च विचार ’ को मानने वाले व्यक्तियों में से एक थे. उनके इसी स्वभाव के कारण उन्हें लोग ‘महात्मा’ कहकर संबोधित करने लगे थे. गांधीजी प्रजातंत्र [Democracy] के बड़े भारी समर्थक थे. उनके 2 हथियार थे -: ‘सत्य और अहिंसा ’. इन्हीं हथियारों के बल पर उन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजाद कराया. गांधीजी का व्यक्तित्व कुछ ऐसा था कि उनसे मिलने पर हर कोई उनसे बहुत प्रभावित [इन्फ्लुएंस] हो जाता था.

 गांधीजी का मानना था की ना सिर्फ उद्देश्य पवित्र होना चाहिए अपितु उद्देश्य प्राप्त करने का साधन भी पवित्र होना आवश्यक है।

लिओ टॉलस्टॉय और हेनरी डेविड थोरो जैसे पश्चिमी विचारको का गांधीजी के जीवन पर गहरा प्रभाव था जिनसे की गांधीजी ने अहिंसा का सिद्धांत ग्रहण किया था। गांधीजी द्वारा इन जीवन सिद्धांतो के आधार पर चरित्र निर्माण किया गया था:-

  • सत्य (Truth)- गांधीजी सत्य को जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य मानते थे और इसी के आधार पर गांधीजी का सम्पूर्ण जीवनदर्शन टिका हुआ है। सत्य के माध्यम से ही वास्तविक विजय पायी जा सकती है इस कथन के आधार पर उन्होंने अपनी जीवनकथा का नाम भी सत्य के मेरे प्रयोग (my experiments with truth) रखा था।
  • अहिंसा (Non-Violence)- गांधीजी किसी भी उद्देश्य को पाने के लिए अहिंसा को प्रमुख हथियार मानते थे। गांधीजी के आंदोलनों में हम अहिंसा के सिद्धांत का प्रयोग प्रमुख रूप से देख सकते है। गांधीजी का मानना था की अहिंसा के लिए आंतरिक रूप से मजबूत होना आवश्यक है।
  • सादगी (Simplicity)- सादगी में गांधीजी का दृढ विश्वास था। गांधीजी का मानना था की जब तक हम अपने जीवन में सादगी नहीं अपना लेते तब तक समाज में अमीर और गरीब की खाई को नहीं पाटा जा सकता है। सादगी का पालन करने के लिए गांधीजी द्वारा पूरी उम्र एक ही खादी धोती का उपयोग किया गया।
  • विश्वास (Trust)- गांधीजी द्वारा विभिन धर्म के लोगो के मध्य एकता बनाये रखने के लिए विश्वास को प्रमुख तत्त्व माना गया था। गांधीजी का मानना था की विभिन धर्म के लोगों के बीच सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखने के लिए आवश्यक है की लोग एक दूसरे के धर्मों के आवश्यक तत्वों को ग्रहण करें एवं आपसी समझ में वृद्धि को बढ़ावा दे।
  • ब्रह्मचर्य (Celibacy)- गांधीजी आध्यात्मिकता शुद्धि के लिए देशवासियों को सदैव ब्रह्मचर्य पालन का उपदेश देते थे।

 

गांधीजी द्वारा संचालित समाचारपत्र

देश में स्वतंत्रता आंदोलनों हेतु जनता को जागरूक करने के लिए गांधीजी द्वारा विभिन समाचारपत्रों का संचालन किया जाता था जिसके माध्यम से गांधीजी के विचारो और देश के लिए उनके संघर्ष की झलक मिलती है। गांधीजी द्वारा शुरू किये गए प्रमुख समाचारपत्र निम्न है।

  1. इंडियन ओपिनियन (Indian Opinion)- दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी द्वारा शुरू किया गया प्रथम समाचारपत्र जिसके माध्यम से गांधीजी ने नस्लभेद के खिलाफ आवाज उठायी
  2. नवजीवन पत्र (Navjivan patra)- गांधीजी द्वारा हिंदी और गुजराती में शुरू किया गया न्यूज़पेपर
  3. यंग इंडिया (Young India)- गांधीजी द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका
  4. हरिजन (Harijan)- समाज में दलित वर्ग के उत्थान के लिए गांधीजी द्वारा संचालित समाचार पत्र

समाचार पत्रों के अतिरिक्त गांधीजी द्वारा कई पुस्तकों की रचना भी की गयी है जिनमे ग्राम स्वराज, दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह, हिन्द स्वराज और मेरे सपनों का भारत उल्लेखनीय है। इसके अतिरिक्त गांधीजी द्वारा अपनी आत्मकथा को सत्य के मेरे प्रयोग (my experiments with truth) नाम से लिखा गया है।

महात्मा गांधी पुस्तकें (Mahatma Gandhi Books)

  1. हिन्द स्वराज – सन 1909 में
  2. दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह – सन 1924 में
  3. मेरे सपनों का भारत
  4. ग्राम स्वराज
  5. ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ एक आत्मकथा
  6. रचनात्मक कार्यक्रम – इसका अर्थ और स्थान

आदि और भी पुस्तकें महात्मा गांधी जी द्वारा लिखी गई थी.’

महात्मा गांधी की मृत्यु, आयु हत्यारे का नाम 

देश के इस महान सपूत की आजादी के सिर्फ 1 वर्ष बाद ही 30 जनवरी सन 1948 को संध्या की पूजा के लिए जाते वक्त नाथूराम गोडसे नामक हत्यारे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गयी। गांधीजी की मृत्यु पर दुनिया भर के महापुरुषों ने शोक जताया था। दिल्ली में राजघाट पर महात्मा गाँधी जी समाधि बनी है जो आज भी करोड़ो लोगो की प्रेरणा का स्रोत है।

गांधीजी की कुछ अन्य रोचक बातें (Some Interesting Facts about Gandhiji)

  • गांधीजी की मृत्यु पर एक अंग्रेजी ऑफिसर ने कहा था कि “जिस गांधी को हमने इतने वर्षों तक कुछ नहीं होने दिया, ताकि भारत में हमारे खिलाफ जो माहौल हैं, वो और न बिगड़ जाये, उस गांधी को स्वतंत्र भारत एक वर्ष भी जीवित नहीं रख सका.”
  • महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
  • गांधीजी ने स्वदेशी आंदोलन भी चलाया था, जिसमें उन्होंने सभी लोगो से विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने की मांग की और फिर स्वदेशी कपड़ों आदि के लिए स्वयं चरखा चलाया और कपड़ा भी बनाया.
  • गांधीजी ने देश – विदेश में कुछ आश्रमों की भी स्थापना की, जिनमें टॉलस्टॉय आश्रम और भारत का साबरमती आश्रम बहुत प्रसिद्द हुआ.
  • गांधीजी आत्मिक शुद्धि के लिए बड़े ही कठिन उपवास भी किया करते थे.
  • गांधीजी ने जीवन पर्यन्त हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए प्रयास किया.
  • 2 अक्टूबर को गांधी जी जन्मदिवस पर समस्त भारत में गांधी जयंती मनाई जाती है.

इस प्रकार गांधीजी बहुत ही महान व्यक्ति थे. गांधीजी ने अपने जीवन में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये, उनकी ताकत ‘सत्य और अहिंसा’ थी उम्मीद है कि Mahatma Gandhi Biography in Hindi ब्लॉग में आपको महात्मा गांधी के बारे में की जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य  ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Biogrphymap के साथ बने रहें।

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FAQ

Q : महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ ?

Ans : 2 अक्टूबर 1869 को

Q : महात्मा गांधी कौन सी जात के थे ?

Ans : गुजराती

Q : महात्मा गांधी का जन्म कहां हुआ था ?

Ans : गुजरात के पोरबंदर में हुआ था.

Q : महात्मा गांधी की मृत्यु कब हुई ?

Ans : 30 जनवरी 1948 को

Q : महात्मा गांधी के अध्यात्मिक गुरु कौन थे ?

Ans : श्रीमद राजचंद्र जी

Q : महात्मा गांधी की बेटी का नाम क्या था ?

Ans : राजकुमारी अमृत

Q : महात्मा गांधी ने देश के लिए क्या किया ? 

Ans : भारत को आजादी दिलाने में विशेष योगदान रहा था.

Q : महात्मा गांधी ने कौन सी पुस्तक लिखी थी ?

Ans : हिन्द स्वराज : सन 1909 में

 
 
Q : महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई आत्मकथा क्या है ?

Ans : सत्य से संयोग नामक आत्मकथा महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई है.

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